इटावा। पहली जनवरी से आधार कार्ड के जरिए विभिन्न योजनाओं में नकद सब्सिडी देने की व्यवस्था सरकार लागू करने जा रही है। खासतौर पर गरीब परिवारों को इस आधार कार्ड के माध्यम से सहूलियत देने की बात की जा रही है। लेकिन जिले में अभी तक तमाम लोगों के आधार कार्ड नहीं बने हैं, यही नहीं फार्म भरकर जमा कर चुके ज्यादातर लोगों को आधार कार्ड उपलब्ध ही नहीं हुए हैं। ऐसे में नए साल के पहले रोज से शुरू होने वाला कैश ट्रांसफर कार्यक्रम कितना प्रभावी रहेगा, इस पर सवाल उठने लगे हैं।
इटावा जिले की तकरीबन 15 लाख की आबादी का आधार कार्ड बनाने के लिए दो संस्थाओं ने फार्म जमा किए थे। इनमें एक आईएल एंड एफएस और दूसरी वक्रांगी थी। यह कार्यक्रम पिछले साल जुलाई में शुरू हुआ और करीब छह महीने चला। इस दौरान इटावा नगर के अलावा जसवंतनगर, भरथना आदि तहसील क्षेत्रों में भी आधार कार्ड के फार्म जमा किए गए। लेकिन जिले की कुल आबादी के सापेक्ष पांच लाख के करीब फार्म जमा हुए। यानी मौटेतौर पर एक तिहाई आबादी अभी भी आधार कार्ड से वंचित है। इसमें भी जिन पांच लाख लोगों के आधार कार्ड बनने के फार्म जमा हुए। उनमें से अधिकांश के अभी तक आधार कार्ड प्राप्त नहीं हुए हैं। यह आधार कार्ड कब तक हासिल होंगे। इसकी सटीक जानकारी किसी के पास नहीं है।
आईएल एंड एफएस संस्था के जिला समन्वयक रहे अमर सिंह कुशवाहा का कहना है कि पुलिस सुरक्षा मिलती तो आधार कार्ड बनाने का कार्यक्रम और भी बेहतर ढंग से चल सकता था। लोगों की भीड़ को काबू करना मुश्किल हो गया था, जीआईसी में कुछ लोगों ने तोड़फोड़ भी कर दी थी। इसके बाद उन्होंने शहर में एक महीने ही कार्यक्रम चलाया था। बाद में 40 गांव में कार्यक्रम चला था। वह बताते हैं कि उनकी संस्था के माध्यम से करीब तीन लाख आधार फार्म जमा किए गए। इन फार्मों में से करीब ढाई लाख लोगों को आधार कार्ड उपलब्ध भी हो गए हैं। आधार कार्ड उन्हीं का लंबित है जिनके फार्म में पता आदि का सत्यापन नहीं हो सका या फिर उंगलियों के निशान सही नहीं लिए गए।
उधर, वक्रांगी संस्था ने सिर्फ इटावा शहर में आधार कार्ड बनाने की प्रक्रिया चलाई। इस संस्था के जिला समन्वयक वाचस्पति द्विवेदी का कहना है कि उनकी संस्था के माध्यम से करीब दो लाख से अधिक आधार कार्ड के फार्म भराकर जमा कराए गए।